Monday, 24 Apr 2023
अगर आप डिजिटल ट्रांजेक्शन करते हैं, तो यह खबर आपके लिए उपयोगी है। क्रेडिट, डेबिट कार्ड का नंबर/ सीवीवी/ ओटीपी पूछ कर ठगी करने वाले जालसाजों के निशाने पर हैं। अगर ऐसे में आप साइबर ठगी का शिकार हुए है तो तुरंत ये करने वाले कदम उठाएं। मुमकिन है आपका पूरा रिफंड मिल जाए।
फेस्टिवल सीजन में कभी कैशबैक तो कभी केवाईसी के नाम पर यूजर्स के अकाउंट साफ हो जाते हैं। क्योंकि आपकी जरा सी चूक एक बड़े नुकसान की वजह बन जाती है। ऐसे में ठगी के शिकार पीड़ित को समझ नहीं आता कि वह क्या करें? आइए जानते हैं कि साइबर ठगी का शिकार होने पर क्या करें, कैसे पा सकते हैं रिफंड।
1. साइबर ठगी होने की स्थिति में आपको तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करनी चाहिए। शिकायत दर्ज करने के बाद आपके पैसे के दोबारा मिलने की संभावना काफी बढ़ जाती है। यह नंबर गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल का सेंट्रलाइज नंबर है। जो पूरे देशभर में लागू है। साथ ही गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम पोर्टल cybercrime.gov.in पर कंप्लेंट करें।
2.इसके तुरंत बाद आप अपने बैंक को पूरी घटना के बारे में जानकारी दें। खाते को ब्लॉक करा दें। कई बार देखा गया है कि साइबर ठग एक बार पैसे निकालने के बाद विक्टिम के खाते से दोबारा पैसे निकालने की कोशिश करता है। यदि आपके मोबाइल से सेंध लगाई है तो सिम प्रोवाइडर कंपनी को कॉल करके अपने सिम को ब्लॉक कराएं।
3.आपको अपने साथ हुई ठगी की शिकायत नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर दर्ज करानी होगी। शिकायत दर्ज कराते समय आपको बैंक पासबुक रिकॉर्ड की कॉपी, आईडी और एड्रेस प्रूफ की कॉपी पुलिस स्टेशन में जमा करनी होगी।
1. डिजिटल वॉलेट का एग्जिक्यूटिव बनकर फोन करने वाले को अनसुना करें। 2. अगर यूजर को AnyDesk या TeamViewer ऐप डाउनलोड करने के लिए कहे तो न करें। 3. अगर ऐप डाउनलोड हो गया तो वह 9 अंकों का कोड मांगता है तो शेयर न करें।
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